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राजस्थान मे बढ़ती नशाखोरी : युवाओं मे चिंता का विषय



राजस्थान, जो कभी अपनी वीरता और सांस्कृतिक गौरव के लिए जाना जाता था, अब एक और गंभीर सामाजिक संकट से जूझ रहा है – तेजी से फैलती नशाखोरी। विशेष रूप से युवा वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में नशे की लत एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।


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आंकड़े चौंकाने वाले हैं

पिछले 3 वर्षों में नशे से जुड़ी गिरफ्तारियों में 60% की बढ़ोतरी हुई है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार:

15 से 35 वर्ष के बीच के 60% युवक किसी न किसी प्रकार के नशे से ग्रस्त हैं

सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले नशे:
 शराब
 स्मैक/हेरोइन
 अफीम/चरस
 इंजेक्शन द्वारा ड्रग्स
 गांजा, व्हाइटनर, नशीली गोलियां



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 कौन से इलाके ज्यादा प्रभावित हैं?

श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर – पंजाब सीमा से सटे इलाके

उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा – आदिवासी बेल्ट

जयपुर, जोधपुर, कोटा – शहरी युवा वर्ग


इन क्षेत्रों में स्कूल और कॉलेज के छात्र तक नशे की चपेट में आ रहे हैं।


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👮‍♂️ पुलिस और प्रशासन की भूमिका

NDPS एक्ट के तहत लगातार छापेमारी हो रही है

नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई के दावे, लेकिन तस्करी पर पूरी तरह अंकुश नहीं

कई बार पुलिस की मिलीभगत के आरोप भी सामने आए हैं


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 परिवार और समाज की चुप्पी

अधिकांश मामलों में परिजन या तो अनजान रहते हैं या सामाजिक बदनामी के डर से चुप।
इससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।


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 समाधान क्या है?

1. स्कूल और कॉलेजों में नशा विरोधी अभियान

2. नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाना
3. जागरूकता कार्यक्रम – पंचायत स्तर तक पहुंचाना
4. युवाओं के लिए खेल, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर
5. सख्त प्रशासनिक निगरानी– पुलिस सुधार जरूरी


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