राजस्थान हाईकोर्ट ने 2021 की सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा को रद्द करने का बड़ा फैसला सुनाया है। 859 पदों पर निकली इस भर्ती को लेकर बीते तीन साल से विवाद जारी था। अब अदालत के आदेश के बाद चयनित और प्रशिक्षणरत अभ्यर्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता गहरा गई है।
पेपर लीक से बिगड़ी पूरी तस्वीर
यह भर्ती शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रही। पेपर लीक और दलालों की सक्रियता ने इसकी पारदर्शिता पर दाग लगाया। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में कुछ दर्जन अभ्यर्थियों पर संदेह जताया गया, लेकिन धीरे-धीरे पूरा चयन प्रश्नों के घेरे में आ गया।
सरकार की दलील और अदालत की सख्ती
अभ्यर्थियों में मायूसी और गुस्सा
निर्णय के बाद हजारों उम्मीदवार हताश हैं। जिन युवाओं ने वर्षों की तैयारी और कड़ी मेहनत से यह उपलब्धि हासिल की थी, उन्हें अब सब कुछ शून्य से शुरू करना होगा। वहीं चयनित होकर प्रशिक्षण ले रहे अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
राजनीतिक दबाव और नई बहस
भर्ती रद्द करने की मांग लंबे समय से राजनीतिक मंचों पर भी उठती रही। जनप्रतिनिधियों ने इसे युवाओं के साथ धोखा बताते हुए आरपीएससी और भर्ती तंत्र में बड़े सुधार की जरूरत बताई। अब यह बहस तेज हो गई है कि क्या केवल परीक्षाएं रद्द करना ही समाधान है या फिर सिस्टम को जड़ से बदलने की जरूरत है।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला राजस्थान की भर्ती प्रक्रिया के लिए एक चेतावनी है। यदि पारदर्शिता और भरोसा बहाल नहीं किया गया तो आने वाले समय में भी यही हालात बन सकते हैं। फिलहाल, लाखों युवाओं की निगाहें अब सरकार और आयोग पर हैं कि वे इस रिक्ति को फिर से कैसे और कब आयोजित करेंगे।
महीनो से चला धरना - हनुमान बेनीवाल के संघर्ष की जीत
इस मामले को लेकर नागौर सांसद और रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने युवाओं और पीड़ितों के साथ जयपुर शहीद स्मारक पर धरना दिया था आज उनके संघर्ष की जीत हुई है आरपीएससी को भंग करने और भर्ती रद्द करने को लेकर जयपुर में लाखों युवाओं के साथ एक रैली की थी आज यह फैसला आने के बाद उनके समर्थको और भर्ती पीड़ितों ने उनकी जीत बताया है
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